Be Safe, Be Fearless

“ मेरे अंकल सोचते हैं कि मैं बहुत प्यारी हूँ, तो वो मेरे साथ खेलना पसंद करते हैं. मगर वे जिस तरह से मुझे गले लगाते हैं और चुम्बन करते हैं, मुझे अच्छा नहीं लगता. वे मुझसे कुछ करवाते हैं और कहते हैं कि यह हमारे बीच एक छोटा सा राज़ है. मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूँ. मुझे अपनी माँ से इस बारे में बात करने से डर लगता है. क्योंकि वह अंकल को पसंद करती है और मेरी बात का यकीन नहीं करेगी.”

ये शब्द एक 7 साल की बच्ची के हैं जिसने बंगलोर स्थित माध्यम के वेबसाइट पर लिखा था.

हो सकता है कि आपको कोई प्रताड़ित कर रहा हो या माता पिता होने के नाते आप अपने बच्चे के लिये चिन्तित हैं या आपके साथ छोटी उम्र में हिंसा हुई हो और वो यादें आज भी परेशान करती हैं.

बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा को हम कैसे समझें ? यह एक खतरनाक अपराध है जो परिवार के अंदर छिपा होता है. ज्यादातर 5 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चे (लड़का और लड़की दोनों) यौन हिंसा के शिकार होते हैं. यह सोचे समझे तरीके से किया जाता है. बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वाले हमलावर अक्सर लगातार और लंबे समय तक हिंसा करते रहते हैं.

इन हिंसकों के साथ सामना करने और इनसे बच निकलने का बच्चों के पास कम ही अवसर होता है. बड़े लोग अक्सर बच्चों की बात का यकीन भी नहीं करते. इस तरह की हिंसा के शिकार बच्चों के मन में उनके बड़े हो जाने तक भी हिंसा का सदमा और दर्द रह जाता है. इस बात को समझने और इन बच्चों की मदद करने की ज़रूरत है.